राजेन्द्र धस्माना

राजेन्द्र धस्माना (Rajendra Dhasmana)

(माताः कलावती देवी, पिताः स्व. चण्डी प्रसाद धस्माना)

जन्मतिथि : 9 अप्रैल 1936

जन्म स्थान : बग्याली

पैतृक गाँव : बग्याली जिला : पौड़ी गढ़वाल

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 2 पुत्र, 1 पुत्री

शिक्षा : पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन जर्नलिज्म

पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन पब्लिक रिलेशन्स

सतत स्वाध्याय, घुमक्कड़ी और जन-संपर्क से ज्ञान और अनुभव अर्जन। खतरों, मुश्किलों और जान लेवा परिस्थितियों से टकराते-टकराते अनुभवों में चमक-दमक आती गई।

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः अभी तक मोड़ों पर ही हूँ, सीधी सड़क अभी आने को है।

प्रमुख उपलब्धियाँ : 1955 से हिंदी कविताओं की रचना। विविध लेख और समीक्षाएँ भी प्रकाशित। अभी तक काव्य संग्रह ‘परवलय’ प्रकाशित। 1960 से अखबार, प्रकाशकों के यहाँ नौकरी के बाद 1978 तक संपूर्ण गांधी वांगमय में सहायक संपादक 1979 से। समाचार प्रभाग, आकाशवाणी एवं समाचार एकक, दूरदर्शन में समाचार संपादक। 1993 से 95 तक सम्पूर्ण गांधी वांगमय में प्रधान संपादक। 1995 में सेवा निवृत्त। 1993 से 2000 तक दूरदर्शन के प्रातः कालीन समाचार बुलेटिन का संपादन (सेवा निवृत्ति के बाद भी)। 1960 से रंगकर्मी के रूप में भी कार्य किया। आठवें दशक से गढ़वाली रंगमंच के लिए नाटक लिखे, जिनमें ‘जंकजोड़’, ‘अर्धग्रामेश्वर’, ‘पैसा न ध्यल्ला गुमान सिंह रौत्यल्ला’, ‘जय भारत जय उत्तराखण्ड’ के मंचन काफी चर्चित रहे। भवानी दत्त थपल्याल के ‘प्रींद नाटक’ का अपडेटिंग किया, जिसके केवल दो प्रदर्शन हो पाये। कन्हैयालाल डंडरियाल के ‘कंस-वध’ का पुनर्लेखन ‘कंसानुक्रम’ के रूप में किया। ‘भड़ भंडारी माधोसिंह’ का मंचन नहीं हुआ। गढ़वाली नाटकों पर 30 स्मारिकाएं और उत्तराखण्ड पर 9 पठनीय स्मारिकाओं का संपादन किया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और कुछ संस्थानों के लिए 20 से अधिक डाक्युमेंटरी बनाईं। सम्प्रति उत्तराखण्ड लोक स्वातंत्र्य संगठन (पी.यू.सी.एल.) के अध्यक्ष। उत्तराखण्ड के सामाजिक-राजनीतिक जीवन में सक्रिय योगदान मानव अधिकारों के लिए समर्पित।

युवाओं के नाम संदेशः जीवन का कुछ समय दूसरों के लिए भी जिएँ।

विशेषज्ञता : रंगकर्म, समाज सेवा, घुमक्कड़ी, ग्राम-विकास, साहित्य- संस्कृति, लोक संचित ज्ञान, गांधी दर्शन, पत्रकारिता, समाचार सम्पादन, मीडिया, मानवाधिकार।

 

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

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